Kair: Capparis decidua plant:

 

Kair: Capparis decidua plant:  

कैर का परिचय:

यह भारतीय उपमहाद्वीप और भूमध्यसागरीय क्षेत्र का मूल निवासी एक फूलदार झाड़ी है जिसका वानस्पतिक नाम Capparis decidua हें। कैर राजस्थानी व्यंजनों मे एक बेहतरीन स्वाद और शुद्ध आर्गेनिक पोशाक तत्वो का खजाना है अपने अनूठे स्वाद, सांस्कृतिक महत्व और पारंपरिक तरीकों के साथ, कैर राजस्थान की रसोइयो मे स्वाद का तड़का लगा देता है। कैर और सांगरी की मिक्स सब्जी बहुत फेमस है। राजस्थान में सीधी भाषा मे करिया भी बोलते हें। राजस्थान के शुष्क वातावरण में ये अच्छी तरह से फलता फूलता हें और इसमे किसी भी तरह का रसायनिक उर्वरक का इस्तेमाल होता हें और न ही रसायनिक दवाओ छिड़काव होता हें यानि पूर्णतया आर्गेनिक। सब्ज़ियों से लेकर तीखे अचार और मसालेदार चटनी करिया व्यंजनों की एक विस्तृत श्रृंखला में अपना अनूठा स्वाद और सुगंध देता है। ये गर्मी के सीजन (पिछले कुछ वर्षो से साल मे दो बार लगता हें।) मे ताजा और सूखा हुआ सालभर मिलता हें। राजस्थान मे शादी और दूसरे उत्सवो कैर सांगरी की सब्जी विशेष तौर से बनायी जाती हें।

Capparis decidua plant
कैर-करिया

कैर स्वास्थ्य लाभ

कैर स्वाद के साथ कई स्वास्थ्य लाभों मे भी मदद कर सकता है। विटामिन, खनिज और आहारीय फाइबर से भरपूर, पाचन स्वास्थ्य को सुधारने मे सहायता करता है, रोगप्रतिरोधक छमता को बढ़ाता है और सम्पूर्ण शारीरिक विकास को बढ़ावा देता है। करिया को अपने आहार में शामिल करना न केवल स्वादिष्ट है बल्कि पौष्टिक भी है।

100 ग्राम कैर में पाए जाने वाले पोषक तत्वों का विवरण दिया गया है:

प्रोटीन: 8.6%

विटामिन सी: 7.8 मिलीग्राम

चीनी: 1.7% से 3.0%

बीजों में 20.3% तेल होता है

कैर खाद्य फाइबर, कैल्शियम और आयरन का भी अच्छा स्रोत है।

कैर का सांस्कृतिक महत्व

राजस्थान में करिया एक स्वादिस्ट व्यंजन से कहीं अधिक है - यह परंपरा, उत्सव और सांस्कृतिक  प्रतीक भी है। उत्सव की दावतों से लेकर रोजमर्रा के भोजन तक, राजस्थानी पाक संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है, कैर की समृद्धि का इसी से पत्ता चल जाता जब शादीयो और दूसरे उत्सवो कैर सांगरी की बनी सब्जी एक मिसाल बन जाती जाती हें। लोग बहुत ही चाव से खाते हें और बहुत ही बखान करते  हें।

 

राजस्थान में कैर खेती

राजस्थान में कैर खेती खुद प्रकृती ही करती हें और ये प्रकृती का एक उपहार हें, जो गोचर भूमि एवं वर्षो से नहीं जोती जानेवाली असिंचित जमीन मे होती है जिसमे बरसात का ही पानी लगता हें और किसी भी प्रकार का खाद, दवा, निराई-गुड़ाई की जरूरत नहीं होती हें। जिसका स्थानीय लोगो द्वारा तुड़ाई की जाती हें और सब्जी बना कर खाई जाती हें। लोग इसका तुड़ाई करके बेचते हें और अच्छी मजदूरी कर लेते हें। पिछले कुछ दसको से तो बड़े स्तर पर व्यापार भी होता जो देश और दुनिया के कई हिस्सो मे निर्यात कराते हें। सांगरी की जानकारी के लिए click here

निष्कर्ष:

जैसे ही हम राजस्थान के पकवानो मे, परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत का स्वाद लें जो कैर को इतना खास बनाते हैं। कैर की नमकीन सब्जी, तीखा अचार या सुगंधित करी का आनंद लीजिये, कैर की सब्जी दुनिया भर में राजस्थानियों के दिल और तालू को लुभाता रहता है। बदलते हुए वातावरण एवं संकुड्ती हुई गोचर और दूसरी बिना जोते जाने वाली भूमि, धीरे धीरे कम हो रही हें, जिससे इस धरोहर का जीवन खतरे मे पड़ रहा हें। इसको बचाने के लिए सरकारी और सामाजिक स्तर पर प्रयास करने की जरूरत हें।

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अस्वीकरण: इस ब्लॉग पोस्ट में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। हालांकि हम सटीक और अद्यतन जानकारी प्रदान करने का प्रयास करते हैं, पाठकों को आगे के शोध करने या विशिष्ट आहार या स्वास्थ्य के लिए एक योग्य पेशेवर से परामर्श करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

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